गरियाबंद-जिला

बिना वन के हम आदिवासी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते वन ही हमारा आर्थिक सफलता है..कपिल

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विश्व वन दिवस पर मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना प्रारंभ

ग्राम दशपुर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का किया गया शुभारंभ

उपस्थित जनों के साथ डीएफओ ने वनों की महत्व बतलाते हुए अधिक से अधिक लाभ लेने का अनुरोध किया

गरियाबंद…. मुख्यमंत्री वृक्षा संपदा योजना के तहत स्वर्गीय महेंद्र कर्मा की याद में ग्राम दशपुर में जिला के समस्त वन अधिकारी कर्मचारी ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में वृक्षारोपण प्रारंभ किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष कल्याण सिंह कपिल एवं जिला पंचायत के वन सभापति श्रीमती धनवती यादव  के साथ ही पूर्व विधायक व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी , पूरा ब्लॉक के अध्यक्ष बालकृष्ण मिश्रा वन विभाग के डीएफओ मनीवासगन उपस्थित थे

इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कल्याण सिंह कपिल ने कहा हम आदिवासियों के लिए वरदान है इसके बगैर हम अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते और आज घटते वनों को देखकर चिंतित होना स्वाभाविक है हमारे मुख्यमंत्री ने यह जो योजना चलाई है यह  वनवासियों के लिए वरदान साबित हो सकता है वहीं आज बिगड़ते वायुमंडल को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि हम मानव का भविष्य आने वाले कल में अंधकार मय है इसे देखते हुए वृक्षारोपण ही एकमात्र उपाय है जिसके बदौलत हम अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं और अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं बिना वन के हम आदिवासी अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते इसलिए इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं ।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही है धनवती यादव जिला पंचायत वन सभापति ने कहा कि हम उनके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते इसलिए आज जो राज्य शासन ने 1 वृक्षारोपण का काम किया है उसकी हम प्रशंसा करते हैं इस अवसर पर पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी ने कहा यह हम सब के लिए सौभाग्य की बात है कि आज वृक्षारोपण दिवस है और इस दिवस के अवसर पर अधिक से अधिक पौधरोपण कर हरियाली को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है और इस हरियाली के बदौलत हमारे जीवन भी सुरक्षित रह सकता है इस अवसर पर उन्होंने एक किसान भूषण तिवारी के द्वारा 5 एकड़ के जमीन पर पौधा लगाने की बात भी कही और इसे जल्द पूरा करने का आग्रह भी किया

इस अवसर पर डीएफओ मनीवासगन ने कहा आज विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर  गरियाबंद वनमण्डल के अंतर्गत वन परिक्षेत्र, के ग्राम दशपुर में  विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर “मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना” का शुभांरभ हितग्राही लोकेश कुमार पिता महेश ध्रुव के भूमि पर किया जा रहा है जिसमें जिले के स्थानीय जनप्रतिनिधिगण एवं अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारियों की सहभागिता से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना किसानों की निजी भूमि पर वृक्षारोपण कर ग्रामीणों की आय बढ़ाने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में ग्रीन कवर बढ़ाने की एक महत्वाकांक्षी योजना है ।

इस योजना के मुख्य बिन्दु समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी, शासकीय, अर्द्ध शासकीय एवं शासन की स्वायत्त संस्थाएं, निजी शिक्षण संस्थाऐं. निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाऐं, पंचायतें तथा भूमि अनुबंध धारक इस योजना का लाभ ले सकते है। इस योजना के अंतर्गत हितग्राही की निजी भूमि में 05 एकड़ तक रोपण हेतु 100 प्रतिशत तथा 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र में रोपण हेतु 50 प्रतिशत वित्तीय अनुदान शासन द्वारा हितग्राहियों को प्रदाय किया जावेगा। शासन द्वारा चयनित वृक्ष प्रजातियों की खरीदी के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम कय मूल्य निर्धारित किया जावेगा, जिससे कृषकों को निश्चित आय प्राप्त हो सकें। वनक्षेत्र से बाहर लकड़ी के उत्पादन बढ़ने से काष्ठ आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही कार्बन क्रेडिट के माध्यम से भी कृषकों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत उक्त योजना के तहत कुल 303 हितग्राहियों के भूमि 454.57 एकड़ में विभिन्न प्रजातियों के कुल 320183 पौधों का रोपण किया जावेगा। जिसमें माह मार्च में सिंचित क्षेत्र में 47 एकड़ भूमि पर कुल – 14276 वाणिज्यिक प्रजाति के पौधा रोपण किया जायेगा ।

डीएफओ मनीवासगन ने इस योजना का उद्देश्य बतलाते हुए कहा छत्तीसगढ़ राज्य के सभी कृषकों /शासकीय/गैर शासकीय/अर्धशासकीय/पंचायते / स्वायत्त संस्थानों की भूमि वाणिज्यिक प्रजातियों के वृक्षारोपण उपरांत सहयोगी संस्था/निजी पर कंपनियों के माध्यम से निर्धारित समर्थन मूल्य पर वनोपज के क्रय की व्यवस्था करते हुए एक सुदृढ़, बाजार व्यवस्था सुनिश्चित करना ।काष्ठ आधारित उद्योग जैसे- पेपर मिल, प्लाईवुड, फर्नीचर आदि को बढ़ावा देते हुए प्रदेश में कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चिता करना। सहयोगी संस्था/निजी कंपनियों के माध्यम से कृषकों के उत्पाद की वापस खरीद की व्यवस्था सुनिश्चित करना ।सहयोगी संस्था / निजी कंपनियों की सहभागिता से योजना का क्रियान्वयन करना जिससे राज्य शासन पर वित्तीय भार कम हो सके ।प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय रोजगार में वृद्धि के साथ – साथ कृषकों की आय में वृद्धि करना ।राज्य में निजी भूमि का समुचित उपयोग वृक्षारोपण हेतु करते हुए पर्यावरण में सुधार एवं परिवर्तन के विपरित प्रभाव को कम करना तथा गैर वन भूमि में वानिकी का विस्तार जलवायु करना ।

वाणिज्यिक प्रजातियों के वनोपज के उत्पादों में वृद्धि करते हुए काष्ठ आधारित उद्योगों को कच्चा माल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।भविष्य में इन वृक्षारोपण क्षेत्रों से कार्बन क्रेडिट के रूप में कृषकों को अतिरिक्त आय की संभावना।समस्त वर्ग के इच्छुक भूमिस्वामी।
शासकीय, अर्धशासकीय एवं शासन के स्वायत्त संस्थाएं जो अपने स्वयं के भूमि पर रोपण करना चाहते है।निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायते, भूमि अनुबंध धारक जो अपने भूमि में रोपण करना चाहते।आगे डीएफओ ने जानकारी देते हुए कहा इस योजना का लाभ व समस्त लोग उठा सकते हैं पात्र हितग्राहियों को 5 एकड़ तक भूमि पर (अधिकतम 4500 पौधें पौधों का रोपण हेतु 100 प्रतिशत अनुदान दिया जावेगा

वृक्षारोपण 5 एकड़ से अधिक भूमि में होने पर (प्रति एकड़ अधिकतम 900 पौधे) पात्र हितग्राहियों को निर्धारित वित्तीय अनुदान का 50 प्रतिशत राशि दिया जावेगा तथा शेष राशि कृषकों को स्वयं वहन करना होगा। निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायते, भूमि अनुबंध धारक को वृक्षारोपण हेतु निर्धारित अंशदान का 50 प्रतिशत राशि दिया जावेगा तथा शेष राशि संस्थानों को स्वयं वहन करना होगा।समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी, शासकीय, अर्द्ध शासकीय एवं शासन की स्वायत्त संस्थाऐं, निजी शिक्षण संस्थाऐं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाऐं, पंचायतें तथा भूमि अनुबंध धारक इस योजना का लाभ ले सकते है।इस योजना के अंतर्गत हितग्राही की निजी भूमि में 05 एकड़ तक रोपण हेतु 100 प्रतिशत तथा 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र में रोपण हेतु 50 प्रतिशत वित्तीय अनुदान शासन द्वारा हितग्राहियों को प्रदाय किया जावेगा।राज्य में इस योजना के माध्यम से प्रति वर्ष 36,000 एकड़ के मान से कुल 05 वर्षों में 1,80,000 एकड़ में 15 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।

शासन द्वारा चयनित वृक्ष प्रजातियों की खरीदी के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम क्रय मूल्य निर्धारित किया जावेगा, जिससे कृषकों को निश्चित आय प्राप्त हो सके।वनक्षेत्र से बाहर लकड़ी के उत्पादन बढ़ने से काष्ठ आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही कार्बन क्रेडिट के माध्यम से भी कृषकों को अतिरिक्त आय प्राप्त होने का संभावना है।समस्त कार्य हितग्राही द्वारा किया जावेगा। हितग्राहियों से अपेक्षित होने पर समस्त आवश्यक सहयोग, मार्गदर्शन एवं समन्वय वन विभाग द्वारा किया जावेगा ।कार्य सत्यापन पश्चात् वन विभाग द्वारा संबंधित हितग्राही के खाते में कार्य अनुसार राशि हस्तांतरित की जावेगी ।इस योजना में मिलिया डुबिया (मालाबार नीम), टिश्यु कल्चर बांस, टिश्यु कल्चर सागौन, क्लोनल नीलगिरी एवं अन्य आर्थिक रूप से लाभकारी पौधों के रोपण का प्रावधान है।शासन द्वारा सहयोगी संस्था/निजी कंपनियों के माध्यम से इस योजना के अंतर्गत रोपित मिलिया डुबिया (मालाबार नीम), टिश्यु कल्चर बांस, टिश्यु कल्चर सागौन एवं क्लोनल नीलगिरी की वापस खरीद हेतु प्रयास किया जावेगा ।


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