गरियाबंद-जिला

खेल मडई में तीर धनुष गुल्ली डंडा गुलेल और गेड़ी पर हुनर दिखाते नजर आए कमार भुंजिया जनजाति के बच्चे और बड़े

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गरियाबंद…. कमर और भूजीया जनजाति, के बच्चों तथा बड़ों के लिए आज गरियाबंद में पारंपरिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसे खेल मडई का नाम दिया गया था इस दौरान कई तरह के रंग हाई स्कूल प्रांगण के मैदान में नजर आए बच्चे भंवरा बाटी गुलेल तीर धनुष पर अपना हुनर दिखाते नजर आए तो वही बड़ों ने रस्सा खींच गिल्ली डंडा कबड्डी तथा कई तरह की प्रतियोगिताओं में हाथ आजमाया इस प्रतियोगिता में विजई होने वाले प्रतिभागियों को 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर रायपुर में होने वाले खेल प्रतियोगिता के लिए चयनित कर गरियाबंद जिले की ओर से भेजा जाएगा।

आदिवासी विभाग के कमांर तथा भूजीया विकास अभिकरण द्वारा आयोजित इस खेल मड़ाई में लगभग 10 प्रकार के खेल चार अलग-अलग वर्गों में खेले गए जिसमें 6:00 से 10:10 से 14:00 14 से 18 तथा 18 वर्ष से अधिक के लोगों के लिए सभी खेल अलग-अलग वर्गों में रखे गए थे इस दौरान जहां बच्चों में इसे लेकर खासा उत्साह नजर आया वहीं 18 वर्ष से अधिक उम्र के खिलाड़ी ही नहीं मिल पा रहे थे।

इन सबसे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ अभीकरण के परियोजना प्रशासक बद्रीस सुखदेवे कमार विकास अभिकरण के अध्यक्ष सुख चंद कमार, भुंजिया विकास अभिकरण के अध्यक्ष, ग्वाल सिंह सोरी, टीकम सिंह नागवंशी आदिवासी जिला युवा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष नरेंद्र ध्रुव, अघनुराम कमार, मंगतूराम कमार, दुखराम कमार मैतु राम कमार पीलेश्वर सोरी, रामेश्वर परस राम मरकाम अवध राम दयाराम, के साथ खेल प्रतियोगिता के आयोजन में पीटीआई संजू साहू आनंद झा, अल्बर्ट चौबे तथा जिले के विभिन्न ब्लॉक से पहुंचे बच्चों तथा अधीक्षकों के समक्ष हुआ इस दौरान,

अतिथियों ने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति के पारंपरिक खेल जैसे विलुप्त से हो रहे थे नई पीढ़ी के बच्चे तीर धनुष गुलेल फुगड़ी से दूर होते जा रहे थे और अब तो कई बच्चे मोबाइल के भी आदि होने लगे थे ऐसे समय में सरकार ने यह खेल प्रतियोगिता आयोजित कर बच्चों में अपनी पारंपरिक खेल के प्रति पुनः रुचि जगाई है जिससे अब तीर धनुष और कई तरह के खेल विलुप्त नहीं होंगे इन्हें रायपुर में अपनी खेल प्रतिभाओं का हुनर दिखाने मिलेगा वह अलग विजई होने पर मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत भी हो सकते हैं यह बड़ी बात है कमार भुंजिया जनजाति जो आदिकाल में केवल जंगलों पर आश्रित थी अब बाकी दुनिया की तरह तरक्की करना चाहती है इस तरह की खेल प्रतियोगिताएं विशेष पिछड़ी जनजातियों के बच्चों को आगे बढ़ाने बाहर की दुनिया दिखाने का एक अवसर प्रदान करती है इस तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन लगातार होते रहना चाहिए वही इसके लिए हम छत्तीसगढ़ शासन के आभारी हैं।

अभिकरण के परियोजना प्रशासक बद्रीस सुखदेवे ने कहा कि शासन की मंशा है कि कमार भूंजिया जनजाति के लोग आगे बढ़े मगर उनकी पुरानी परंपराएं और पुराने खेल विलुप्त ना हो जिसे देखते हुए यह नया प्रयास आदिवासी विभाग राज्य सरकार के निर्देशन में कर रहा है इस तरह के आयोजनों से समाज को कई तरह के फायदे होते हैं बच्चे अपने परंपराओं से जुड़े रहते हैं।

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